प्रेरणा दायक कहानियाँ
Hindi Kahaniyan , |
यह hindi kahaniyan हैं एक राजा की जो दुसरे पडोसी राजा से बहुत डरता भी था! और जलता भी था एक संत ने बहुत अच्छी युक्ति से दोनों को बचाया एक आत्मरामी महात्मा थे घूमते घूमते एक राजा के पास गए
उसने महात्मा का स्वागत किया महात्मा बोले : क्या चाहिए बेटा राजा बोला पड़ोसी राजा को देखकर मुझे बहुत परेशानी होती हैं !
वह तो बुढा हो गया है पर उसका लड़का जवान हैं! अब वह राज्य गद्दी पर बैठे गा महाराज मेरे को उसका सिर लाकर दे दीजिये !
आत्मरामी महापुरुष तो मिलते हैं लेकिन सबकी अपनी अपनी पसंदगी हैं!
एक व्यक्ति को कुछ रुचता हैं ओर दूसरे को कुछ रुचता हैं! लेकिन गुरु लोग उसमे संयोग कर देते हैं
बढ़िया !राजा की गलती तो थी" ईर्षा कर रहा था| लेकिन फिर भी राजा के कल्याण के लिए महात्मा ने कहा बस पड़ोसी राजा के बेटे का सिर ही चाहिए हम अभी ला देते हैं !
महात्मा पहुँच गए पड़ोसी राजा के पास राजा ने खड़े हो के अहोभाव से स्वागत किया सत्कार किया की ब्रहंज्ञानि महापुरुष पधारे हैं \ बोले महाराज क्या सेवा करे क्या चाहिए !संसारी लोग समझते हैं! की महाराज आये तो कुछ लेने को आये यह नहीं पता की महाराज कुछ दे भी सकते हैं
महात्मा पहुँच गए पड़ोसी राजा के पास राजा ने खड़े हो के अहोभाव से स्वागत किया सत्कार किया की ब्रहंज्ञानि महापुरुष पधारे हैं \ बोले महाराज क्या सेवा करे क्या चाहिए !संसारी लोग समझते हैं! की महाराज आये तो कुछ लेने को आये यह नहीं पता की महाराज कुछ दे भी सकते हैं
ओर ऐसा देते हैं की सब खज़ाने भर जाते हैं महात्मा ने कहा तुम्हारे बेटे का सिर चाहिये इसलिए आया हूँ!
राजा ने बेटे को बुलाया बोले महाराज लो अकेला सिर क्या काम आएगा पूरा ही ले जाइए ! महाराज फिर तो ओर बढ़िया |महात्मा पहले वाले राजा के पास पहुंचे ओर बोले राजन में सिर क्या धड़ भी ले आया हूँ !
वह राजा बड़ा खुश हुआ महात्मा ने पूछा :तेरे को भी कोई बेटा हैं! की नहीं महाराज बोला एक बेटी हैं जरा बुलाओ उसको राजा ने बेटी को बुलाया |महात्मा बोले दोनों पास मे खड़े रहे तो महात्मा बोले राजन जोड़ी कैसी लगती हैं !
कितने सुंदर लगते हैं दोनों का विवाह कर दो जो ईर्षा थी वह अब प्रेम मे पलट गई कहने का मतलब हैं की ईर्षा नफरत ऐसी आग हैं जो अपनी योग्यता नष्ट कर देती हैं ईर्षा करने बाला अपना ही विनाश करता हैं !
आपस मे लड़कर अपना समय योग्यता नष्ट न करे किसी के प्रति ईर्षा सदेव नहीं रहती हैं !ईर्षा नफरत से अपनी योग्यताएं नष्ट न करे ईर्षा दुएष से बचे ओरो को बचाए भगवान ने दुनिया इसलिए बनायीं हैं की तुम भगवान से मिलो भगवान को पालो भगवत रस पालो भगवान हो जाओ!
वह राजा बड़ा खुश हुआ महात्मा ने पूछा :तेरे को भी कोई बेटा हैं! की नहीं महाराज बोला एक बेटी हैं जरा बुलाओ उसको राजा ने बेटी को बुलाया |महात्मा बोले दोनों पास मे खड़े रहे तो महात्मा बोले राजन जोड़ी कैसी लगती हैं !
कितने सुंदर लगते हैं दोनों का विवाह कर दो जो ईर्षा थी वह अब प्रेम मे पलट गई कहने का मतलब हैं की ईर्षा नफरत ऐसी आग हैं जो अपनी योग्यता नष्ट कर देती हैं ईर्षा करने बाला अपना ही विनाश करता हैं !
आपस मे लड़कर अपना समय योग्यता नष्ट न करे किसी के प्रति ईर्षा सदेव नहीं रहती हैं !ईर्षा नफरत से अपनी योग्यताएं नष्ट न करे ईर्षा दुएष से बचे ओरो को बचाए भगवान ने दुनिया इसलिए बनायीं हैं की तुम भगवान से मिलो भगवान को पालो भगवत रस पालो भगवान हो जाओ!
जिसके जीवन में आत्म संतोष आत्म सम्पनता हैं कुछ चीजों का ज्ञान मनुष्य को हमेशा रखना चाहिये जेसे simple steps आना अकेला जाना अकेला तो फिर ये बडबोला बोला पन्न क्यों किस चीज का गर्व हैं मुझे में एक ईश्वर का बनाया हुआ छोटा सा तोहफ़ा हूँ