प्रेरणा  दायक  कहानियाँ

hindi kahaniyan यह कहानी हैं एक देश भक्त की जिनके दिल  में अपमे माँ बाप के लिए तथा देश के लिए बहुत प्रेम था हमें गर्व हैं की ऐसे देश भक्त हमारे धरती  पर जन्म लेते हैं ओए लेते रहेंगे यह कहानी जरुर पढ़े!

=<img.src =" story-1.jpg " alt " Hindi kahaniyan "/>
hindi kahaniyan  

 ,Hindi Kahaniyan




ईश्वर चन्द्र विध्यासागर प्रतिदिन स्कूल  में   पढने जाते थे  !घर में माँ अपने बेटे से बहुत ही प्यार करती थी  अपने प्राणों से ज्यादा प्यार करती थी !


उसकी हर मांग पूरी करने में आनंद का अनुभव करती थी ! पुत्र भी पढने  लिखने में बड़े  तेज और परिश्रमी थे ! एक दिन दरवाजे पर किसी ने आबाज लगाई ! ओ माई  कह कर आवाज लगाई ! ईश्वर चन्द्र विध्यासागर ने पुस्तक हाथ में लेकर बाहर चले गए !उन्होंने देखा की एक पठेहाल में बुढिया अपने काँपते हुए हाथ फेलाये खड़ी थी !

उसने कहा ,बेटा कुछ  भीख दे दो ' !बुढिया के मुँह से बेटा सुनकर वह बालक  भावुक हो गया और माँ से आकर कहने लगे ,माँ !एक बेचारी गरीब माँ ,बेटा कहकर कुछ मांग रही हैं !'

उस समय घर में कुछ खाने की चीज नहीं थी !इसलिए ,माँ ने कहा ,बेटा रोटी भात तो कुछ बचा नहीं हैं,चाहो तो चावल दे दो !

 पर ईश्वर चन्द्र विध्यासागर ने हठ करते हुए कहा -माँ चावल से क्या होगा  तुम जो अपने हाथ में सोने का कंगन पहने हो दे दो न उस बेचारी को ! में जब बड़ा होकर कमायुंगा तो तुम्हे कंगन बनाकर दे दूंगा !'

माँ ने बालक का मन रखने के लिए सच में ही सोने का अपना कंगन  कलाई से उतारा और कहा लो दे दो "!

 ईश्वर चन्द्र विध्यासागर  खुशी खुशी वह कंगन उस भिखारिन को दे आया ! भिखारिन को तो मानो एक खजाना मिल गया !

कंगन बेचकर उसने अपने परिवार के बच्चो के लिए  कपडे ,अनाज आदि जुटाए ! उस भिखारिन का पति अँधा था !

उधर ईश्वर चन्द्र विध्यासागर बड़े हो गए और बहुत बड़े विद्वान् हो गए  काफी फेमस हो गए !

एक दिन वह माँ से बोले माँ तुम अपने हाथ का नाप  दे दो में कंगन बनवा दू !ईश्वर चन्द्र विद्यासागर को अपना बचन याद था जो उन्होंने बचपन में दिया था !

माँ बोली उसकी चिंता छोड़ दो  में इतनी बूढी हो गई की अब मुझे कंगन शोभा नहीं देंगे !

हाँ ,कलकत्ते के तमाम गरीब बच्चे विधालय और चिकित्सा के लिए मारे- मारे फिरते हैं उनके लिए तू एक विधालय और एक चिकित्सालय खुलवा दे जहाँ निशुल्क पढाई और चिकित्सा मिल सके ! '

और आगे चलकर ईश्वर चन्द्र विध्यासागर ने बड़े बड़े चिकित्सालय बनवाया बड़े बड़े स्कूल खुल बाया   आज उनका नाम बड़े गर्व से लिया जाता हैं


अपने जीवन को उन्नति की और ले चलो हे भारत के महान सपूतो  तुम अपने जीवन को उन्नति की और ले चलो पुर्षार्थी बनो "

हिम्मत करो साहस करो  प्रत्न करो "

प्राण वान पक्तियाँ  

तुम भी ऊचे हो सकते हो छु सकते हो नभ के तारे ! अचल रहा जो अपने पथ पर  लाख मुसीवत आने में ,मिली सफलता जग में उसको जीने में मर जाने में ! 

 वैज्ञानिक Nuthran की कहानी



 सर्वश्रेष्ठ हिंदी कहानियाँ  Hindi Kahaniyan
अपने पिता की मृत्यु के 3 माह बाद एक बच्चे का जन्म हुआ। समय से पूर्व उसका जन्म हुआ। जन्म के समय बच्चा बहुत कमजोर था।

जब वह मात्र 3 वर्ष का था तो उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली और बच्चे को उसकी नानी के पास पालन पोषण हेतु छोड़ दिया। गांव के स्कूल में बच्चे पढ़ने लगा। जब वह मैं 15 वर्ष का ही था तो उसके सौतेले पिता का देहांत हो गया। बच्चे की मां वापस आ गई एवं उसने बच्चे की पढ़ाई छुड़वा कर उसे खेत में कार्य करने को कहा बच्चे को खेत में काम करना पसंद नहीं था!

इस समय HIg स्कूल के एक अध्यापक ने उसकी सहायता की और फिर से उसको स्कूल जाने को कहा और उसकी पढ़ाई का पूरा खर्चा उठाया उसको स्कूल में भेजा।

19 वर्ष की उम्र में उस लड़के को एक लड़की से प्यार हो गया और उसने उससे शादी कर ली लेकिन बहुत जल्दी में लड़की उसे छोड़ कर चली गई !

इसके बाद उस लड़के ने कभी शादी नहीं की जन्म से ही दुर्भाग्य और निराशा  उस बच्चे के  जीवन में हर क्षेत्र में विषमताओं का सामना करना पड़ा आप सोच सकते हैं कि वह बच्चा जीवन में क्या कर सकता है।
बड़ी बड़ी कठिनाइयों से गुजरते हुए वे जीवन में बहुत ऊंचे आगे निकल गया और वह आगे चलकर बड़ा होकर विश्व प्रसिद्ध वैज्ञानिक न्यूटन के रूप में विख्यात हुआ !
जिसने गुरुत्वाकर्षण के नियमों का प्रतिपादन किया। दोस्तों परिस्थितियों से न घवराकर न भागे मेहनत करे और अपने दुर्भाग्य से न भागे  पुरषार्थ करें ,

विल्मा रूडोल्फ की सर्वश्रेष्ठ Hindi Kahaniyan


विल्मा रूडोल्फ का जन्म एक गरीब परिवार में हुआ था। जब वह  मात्र 4 वर्ष की थी तो उन्हें भयंकर बीमारी ने घेर लिया जिससे उन्हें पीलिया  हो गया डॉक्टर ने उन्हें पैर में ब्रश  पहना दिया
और कहा कि आप कभी पैर से नहीं चल सकेगी। विल्मा की मां उन्हें हमेशा उत्साहित करती रहती और उन्हें  प्रतियोगिता का उपयोग करने एवं हिम्मत से काम लेने हेतु उत्साहित करती रहती थी!

विल्मा रूडोल्फ बहुत हिम्मत वाली लड़की थी। हार मानना तो जैसे वह  जानती ही नहीं थी 9 वर्ष की उम्र में डॉक्टरों की सलाह के विपरीत उन्होंने अपने पैर से ब्रश उतार दिए एवं धीरे-धीरे पैरों पर चलना शुरू किया।
13 वर्ष की उम्र में दौड़ में हिस्सा लिया वह दौड़ में बार बार पराजित हुई लेकिन एक दिन ऐसा भी आयायह जीत हासिल की और प्रथम नंबर पर आई।

15 वर्ष की उम्र में है टेंपल नामक कोच से मिली उन्होंने कोच से कहा मैं दुनिया की सबसे तेज धावक बनना चाहती हूं कोच ने उनकी लगन निष्ठा  को देखते हुए कहा कि तुम्हे कोई नहीं रोक सकता और इसमें मैं तुम्हारी सहायता करूंगा तुम्हें ट्रेनिंग दूंगा।


वे दिन भी आये  जिसका विल्मा को बहुत इंतजार था वे वर्ष 1960 के ओलंपिक खेलों में हिस्सा ले रही थी विल्मा का मुकाबला जूता आयेने धाविका से था जो कभी हारी ही नहीं थी

पहली दौड़ 100 मील की थी विल्मा ने जूता  आयेने को पराजित किया एवं अपना प्रथम स्वर्ण पदक जीता।

दूसरी दौड़ 200 मील की थी उसमें भी विल्मा ने  जूता आयेने  को पराजित किया और दूसरा स्वर्ण पदक जीता


तीसरी दौड़ 400 किलोमीटर की  बैटन रिले रेस थी यहां भी जूता आईने के मुकाबले में थी इस दौड़ में सबसे तेज धावक को सबसे अंत में रखा जाता है
या तीन धावको के दौड़ने के बाद जब बैटन मिलवा को दिया गया तो benthan विल्मा  के हाथ से गिर गया लेकिन जेसे ही विल्मा ने जूता आयेने को दौड़ते हुए देखाउसने तुरंत बैठन उठाया और अविश्वसनीय गति से मशीन की तरह दौड़ लगा दी।

 इस तरह उसके तीसरा स्वर्ण पदक भी अपने नाम किया। ऐतिहासिक घटना की विल्मा ने  इतिहास रच दिया उसने दुनिया की सबसे तेज दौड़ने वाली महिला बनने का सपना साकार कर लिया।

अपंग महिला का यह कारनामा इतिहास में दर्ज है एवं जीतने की इच्छा रखने वालों के लिए एक शानदार प्रेरणा पुंज। यह उन लोगों के लिए है जो कुछ सबक सीखना चाहते हैं 

 सबक है उनके लिए  जो अपनी असफलता के ना जाने कितने बहाने बनाते हैं परिस्थितियों को दोष देते हैं सफलता हिम्मत वान  साहसी और संकल्पित लोगों की दासी है

यह संकल्प सिद्धि किया अपंग महिला होने के बाद भी इतनी बड़ी शानदार उपलब्धि हासिल की इससे बड़ी मोटिवेशनल  कहानी और आपको नहीं मिलेगी




और नया पुराने

,