वही विजय होता है जो असफलता रूपी काटों के राह पर चलते हुए सफलता के पथ पर आगे बढ़ते  हैं ! 


ये कहानी हैं 2 महान व्यक्तियों की Hindi Kahaniyan जिन्होने जिंदगी मे कई बार असफल होनेके बाद भी बहुत बड़ी सफलता हासिल की ओर लोगो के लिए बहुत कुछ छोड़ गए 

<img.src =" birds -1.jpg "alt " Hindi kahaniyan "/>
चिड़िया की कहानी

एक चिड़िया की कहानी


एक बड़ी इमारत के पास में बहुत पुराना पेड़ था |उस पेड़ पर एक बंदर और एक चिड़िया का बसेरा था ! एक दिन उस इमारत में आग लग गई सारे लोग आग बुझाने में लग गए !



कोई फायर विग्रेड को फोन कर रहा था तो कोई आग पर पानी डाल रहा था ! अब चिड़िया से रहा  नहीं  गया '' पेड़ से उड़कर बह पास ही पानी के एक छोटे से गड्डे में गई !
और अपनी चोच में पानी लाकर आग पर डाला बहुत देर तक बह पानी लाकर डालती रही  बंदर यह देखकर हंस रहा था  कापी देर बाद बहुत सारे लोगो के मिले जुले प्रयासों से आग बुझ गई !

दुखी होकर चिड़िया ने mankey को कहा  बंदर भाई हम भी सालो से इस इमारत में रह रहे हैं ,हमें भी कुछ करना चाहिए  यह सुनते ही बंदर ठहाका मारकर बोला तू छोटी सी चिड़िया क्या करेगी क्या तू इस इमारत की आग बुझा लेगी !

चिड़िया चुप रह गई ''कुछ देर बाद चिड़िया ने पुनः अनुरोध किया  परन्तु  बंदर ने फिर मजाक उड़ाया ''!

चिड़िया के पेड़ पर लोटते ही बंदर ने कहा -तुम्हे क्या लगता हैं अपनी २ इंच की चोच से पानी डालकर आग तुमने बुझाई हैं ?

चिड़िया ने तिरस्कार से MANKEY को देखा और कहा जबाव दिया  -सुनो बंदर इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की मेरी चोच का साइज़ क्या हैं  इस बात से कोई फर्क नहीं पड़ता की इस आग को बुझाने में मेरा कितना योगदान था ?

तुम हमेशा यह याद रखना की जिस दिन इस इमारत में आग लगने और आग बुझाने का  इतिहास लिखा जायेगा उस दिन मेरा नाम आग बुझाने बालो में आएगा और तुम्हारा नाम किनारे बैठकर हसने बालो में ! मेरे बंधुयो सच हैं की हम सबकी क्षमताऐ  योग्यताए  अलग हैं परिस्थिति अलग हैं ,योग्यताए अलग हैं !
या यु कहे की हम सबकी चोच का साइज़ अलग हैं !में  यकीन  के साथ कह सकता हूँ की इस बात से फर्क नहीं पड़ता की हमारी चोच का साइज़ क्या हैं !

हमने उतनी ताकत झोकी हैं या नहीं  जितनी झोक सकते थे हम अपनी पूरी क्षमता से मुश्किलों  का  सामना कर रहे हैं या नहीं !

हमारे भीतर उस चिड़िया जैसी व्यवहार करने की क्षमता होनी चाहिए जो बंदर का अनसुना करके सही कार्य में डटी रही ?
क्या हम इसी तरह अपने कार्य में जुट सकते हैं क्या हम निंदको और विरोधियो को अनसुना कर सकते हैं यदि हम सिद्दत से अपने कार्य को कर सकते हैं तो विजय हमारी निश्चिंत हैं !पराजित बो  है जो एक बार असफल होकर बैठ जाते है मैदान से हठ जाते है असफलताओ के आघात से निराश होकर बैठ जाना ही कायरता है !

असफलताओ की कसोटी पर ही आपके पुरषार्थ साहस  धेर्य एवं आत्मविश्वास  की परख होती है जो इस कसोटी पर खरा उतरता है ! फर्क इस बात से पड़ता हैं की हमने उतना प्रयास किया अथवा नहीं जितना हम कर सकते थे !

मरने के बाद व्यक्ति यमराज के पास ( Latest story) 

एक बार एक व्यक्ति मरने के बाद स्वर्ग  नर्क  के द्वार पहुँचा तो यमराज ने उससे  पूछा की तुम कहाँ जाना चाहते हो  स्वर्ग  या नर्क  ?

उस व्यक्ति ने कहा की में पहले दोनों देखना  चाहता हूँ ! इस पर यमराज उसे  पहले  नरक मे ले गए बहा उसने देखा की टेबल पर खूब अच्छा खाना रखा हैं  लेकिन उस टेबल के चारों ओर बेठे हुये व्यक्ति बहुत कमजोर हैं उनका चेहरा पीला  पड़ा हुआ हैं !
बहुत उदास  हैं बे भूख से बेहाल लग रहे हैं उस व्यक्ति ने एक ओर बात नोट की ,कि टेबल के  चारों ओर बैठे व्यक्तियों के हाथो में चार चार  फुट कि चम्मचे एवं कांटे  बंधे हुए हैं !
(best inspirational stories in hindi )
अब यमराज उसे स्वर्ग मे ले गए  बहा उस व्यक्ति ने देखा कि बहा भी टेबल पर खाना लगा हुआ हैं एवं टेबल के चारों ओर बेठे व्यक्तियों के हाथ में भी चार चार फुट कि चम्मचे एवं काँटे बंधे हुए हैं !
लेकिन बे सभी लोग खुश हैं प्रसन्न  एवं स्वस्थ हैं तथा एक दूसरे को चम्मचों से  खाना खिला रहे हैं !
जो लोग दूसरों के बारे में सोचते हैं दूसरों का ध्यान रखते हैं  वे जीवन में प्रसन्न एवं स्वस्थ रहते हैं ओर वही जीवन में सफल हो  हैं





और नया पुराने

,