संजय अखाड़े  जी की कहानी 

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एक कहानी है एक गरीब घर की जिसके परिवार में मां बीड़ी बनाने का कार्य करती है और पिता कुली का कार्य करते थे उनके बेटे संजय खान ने तय किया आईएएस अधिकारी बनने का सफर।

किसी चीज को पाने के लिए पूरी शिद्दत के साथ कोशिश की जाए तो मान कर चलिए कि आपको कामयाब होने से कोई भी नहीं रोक सकता । इसका जीता जागता उदाहरण है संजय अखाड़े।

महाराष्ट्र के नासिक जिले के संजय अखाड़े गरीबी और घोर परेशानी के बावजूद आईएएस बनने में कामयाब हो गए।

नासिक के मखमलाबाद रोड  गलियों में बने एक घर की चारदीवारी में कुली के घर एक बेटे का जन्म हुआ जिसका नाम था संजय अखाड़े।
 मां महीने के तीसरे दिन आधे पेट रहकर फैक्ट्री में बीड़ी बनाती तब तब कहीं जाकर उनके घर के महीने का खर्चा चलता विचारे पिता का कोई कसूर नहीं था स्टेशन पर कुली का काम कर रहा था व्यक्ति को आखिर मिलता है क्या था।

दूसरों के पहले और बोलियां उठाते उठाते हैं यह भी भूल जाता की देर हुई तो उसके बच्चे आदमी भूखे पेट ही सोएंगे।

माता-पिता की हंसी हालात देख संजय बचपन से ही मजदूरी करने लगे।

कई सालों तक संजय ने होटलों में टेबल साफ करके मेडिकल की दुकान पर काम करके अखबार बांट कर और एसटीडी की दुकान पर बैठकर अपने पिता का साथ दिया।

पिता ने स्कूल में भी डाला तो केवल इस इस उद्देश्य की वह दिनभर की मिली मजदूरों को गिन सके लेकिन संजय तो वजह से बने ही कुछ और खास काम के लिए के लिए थे।

स्कूल में मन लगा कर पाते और बाकी बचे भक्तगण मजदूरी कर खुद का पेट पालते। देखा ने पहने रहने में जरूरत लोगों से पीछे पीछे रहे।

लेकिन पढ़ने में सबके अब्बल एक नंबर में थे हर कक्षा में उनका पहला स्थान पक्का रहता था संजय मराठी के अतिरिक्त कोई भी अन्य भाषा नहीं जानते थे!
ऐसे में सुबह अखबार बांटने के बाद वचे हुए अंग्रेजी अखबारों को पढ़कर उन्होंने अपनी अंग्रेजी सुधारी। मुसीबतों से जूझते हुए संजय स्नातक तक की पढ़ाई पूरी करके प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी में जुट गए।

सारा दिन मजदूरी करने के बाद जो वक्त मिलता संजय उसका पूरी ईमानदारी के साथ पढ़ाई में इस्तेमाल करते हैं।

संजय का कहना है कि मैंने संघर्ष के दिनों में 1 मिनट भी बर्बाद नहीं की मैं जानता थामैं जानता था कि अगर मैंने वक्त की कीमत नहीं पहचाने तो वक्त भी मुझे नहीं पहचाने गा।

संजय कहते हैं शुरू शुरू में मैं हीन भावना से ग्रसित था ना मैं देखने में अच्छा था और ना मेरी पारिवारिक पृष्ठभूमि होती और ना ही मुझे अंग्रेजी बोलनी आती थी!

 ऐसे में मैं होशियार छात्रों का सामना कर पाऊंगा लेकिन जो जो मैं पढ़ाई करते गया वैसे ही मेरा आत्मविश्वास बढ़ता गया और सारी कमियां ना जाने कहां गायब हो गई

इसी दौरान संजय को मार्गदर्शक के रूप में पुण्य के आईएएस अविनाश मिले।
उन्होंने संजय करना केवल हौसला बढ़ाया बल्कि कोचिंग भी।
संजय की मेहनत और अविनाश का मार्गदर्शन रंग लाया
संजय कोई सफलता चौथे प्रयास में मिली अबे आईएएस बन चुके हैं

संजय कहते हैं हालात कितनी बुरी होकितने भी गरीबी हो इसके बाद भी यदि आप की आत्मविश्वास उत्साह और आपका धैर्य मजबूत हो।

आपको हर हाल में सफल होने का जूनून तो दुनिया की कोई ताकत आपको कामयाबी का विवरण करने से नहीं रोक सकती।,

संजय कहते हैं कि आप जो काम करते हो उसको पूरी लगन से पूरी मेहनत से उत्साह से करो और आत्मविश्वास इतना मजबूत रखो कि आने वाली हर विपदा एक तिनके की बराबर लगे

इसलिए मित्रों उठो जागो और तब तक चैन से मत बैठो जब तक तुम कामयाब ना हो जाओ


अदम्य आत्मविश्वास द्रड़ संकल्प शक्ति की गाथा

 

Hindi Kahaniyan यह कहानी हैं एक जबरदस्त महिला की जिसके पैर कटने के बाद भी  एक बहुत बड़ी मिसाल हासिल कर ली जिनका नाम हैं सुधा चंद्र ने


दुर्घटना मे एक पैर गवाने के बाद  कोई महिला जीवन मे संगीत निरत्य के संबंध मे कोई सोचने की कल्पना भी नहीं कर सकती है!
लेकिन सुधा चंद्रन ने अपने अदम्य  आत्मविश्वास द्रड़ संकल्प शक्ति के बल अकल्पनीय को भी हकीकत मे बदल डाला दुर्घटना मे अपना एक पैर गवाने के बाद सुधा चंद्रन ने जयपुर फुट लगाकर अपनी डांस प्रैक्टिस शुरू की !
ओर फिल्म नाचे मयूरी मे उनका शानदार डांस देखकर लोग अचंभित रह गए लोगो ने दाँतो तले अंगुली दबा ली आज सुधा चन्द्रन की गणना बहुत शानदार एवं नर्तकी  tv एवं फिल्म  एक्ट्रेस के तोर पर की जाती हैं !
सुधा चन्द्रन का कहना हैं की जब हेलेन कीलर अपंगता से बाहर आ सकती हैं तो मे क्यू नहीं उनका मानना हैं ! की की सफलता व्यक्ति की सोच मे होती हैं !
हम जो चाहे  वह प्राप्त कर सकते है चाहे वह कितना ही बड़ा क्यो न हो !लेकिन इसके लिए चाहिए ढ्रद संकल्प  द्रद आत्म विश्वास  पोस्ट अच्छी लगे तो share जरूर करे !

निक वुजिसिक  motivational  स्पीकर  की कहानी 

4 दिसम्बर 1982 को निक का जन्म औस्ट्रेलिया के मेलबोर्न मे हुआ जन्म से ही निक के कंधो से दोनों हाथ नहीं थे एवं पैरों के नाम पर एक छोटा सा बाया पैर जिस पर मात्र 2 अंगुलिया थी!

आप कल्पना कर सकते है की कितनी कठिनाइयो एवं पीड़ा का सामना किया होगा निक ने अपने जीवन मे धीरे धीरे उसके कई दोस्त बनये बच्चो ने निक को दोस्त स्वीकार कर लिया निक ने अपने पैरों की 2 अंगुलिया से लिखना शुरू कर दिया !
अपनी उन्ही 2 अंगुलियो से लिखना सीखा computer चलाना सीखा फोन पर बात करना सीखा जबाव देना सीखा धीरे धीरे बह टेनिश बॉल भी फेकने लगे पानी का गिलाश स्वम उठाने लगे दाढ़ी बनाना आदि काम वह स्वम करने लगे 21 बर्ष की उम्र मे कॉलेज से स्नातक पास की 
तथा accounting  मे डबल डिग्री प्राप्त की आज वह लोगो को प्रेरणा दायक उपदेश देते हैं उन्हे लोग प्रोत्साहक एवं प्रेरक बक्ता  की तरह जानते है ! 

निक आश्चर्यजनक व्यक्तित्व के धनी हैं वह लाइफ life without limp  के निर्देशक हैं निक हर व्यक्ति के लिए प्रेरणा हैं ऐसे ऊर्जाबान स्त्रोत हैं जो आपको रोमांच से सराबोर कर देएक निर्जीव व्यक्ति मे जान फूक सकने बाले निक वास्तव मे हमारे सलाम के काबिल है !!

आत्मविश्वास आत्मबल से सरावोर ऐसे योद्धा को हमारा बार बार नमन  पोस्ट अच्छी लगे तो शेर जरूर करे !


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