बेल के विधिवत सेवन से शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है
बेल या बेल का अर्थ है जो रोगों का नाश करें वह बेल है बेल के विधिवत सेवन से शरीर स्वस्थ और सुडौल बनता है बेल की जड़ उसकी शाखाएं पत्ते छाल और फल सब के सब औषधियां है बेल में हृदय को ताकत और दिमाग को ताजगी देने के साथ-साथ सात्विकता प्रदान करने का भी श्रेष्ठ गुण है मुलायम और उष्ण होता है !
इसके गूदे पत्तों तथा बीजों में उड़न शील तेल पाया जाता है जो औषधीय गुणों से भरपूर होता है कच्चे और पके बेल फल के गुण तथा उससे होने वाले लाभ अलग-अलग प्रकार के होते है
कच्चा बेल फल भूख तथा पाचन शक्ति बढ़ाने वाला पेट के कीड़ों का नाश करने वाला यह मल के साथ बहने वाले जलयुक्त भाग का शोषण करने वाला होने के कारण अतिसार रोग में हितकर है इसके नियमित सेवन से हैजा से रक्षा होती है
पका हुआ फल मधुर कसैला पचने में भारी तथा मधु विवेचक है इसके सेवन से दस्त साफ होते हैं
रोगों से बचाव के लिए
उल्टी - बेल के छिलके का 30 से 50 मिलीलीटर काढ़ा शहद मिलाकर पीने
से उल्टी में आराम मिलता है
गर्भवती स्त्रियों को उल्टी अतिसार होने पर कच्चे बेल फल के 20 से 50 मिलीलीटर
काढ़े में सत्तू का आटा मिलाकर देने से भी राहत मिलती हैबार-बार उल्टियां होने पर और अन्य किसी भी चिकित्सा से राहत न मिलने पर बेल के गूदे का 5 ग्राम चूर्ण चावल के धोवन के साथ लेने से आराम मिलता है
संग्रहणी - इस व्याधि में पाचन शक्ति अत्यंत कमजोर हो जाती है बार-बार चिकने दस्त होते हैं इसके लिए दो बैल फल का गूदा 400 ग्राम पानी में उबालकर छान ले फिर ठंडा कर उसमें 20 ग्राम शहद मिलाकर सेवन करें
पुरानी जीर्ण संग्रहणी - बेल का 100 ग्राम गुदा प्रतिदिन 250 ग्राम छाछ में मिलाकर पिए !
पेचिश - बेल फल आंतो को ताक़त देता है एक बेल के गूदे से बीज निकालकर सुबह-शाम सेवन करने से पेट में मरोड़ नहीं आती है !
जलन- 200 ग्राम मिलीलीटर पानी में 25 ग्राम बेल का गूदा 25 ग्राम मिश्री मिलाकर शर्बत पीने से छाती ब पेट में जलन में राहत मिलती है !
मुंह के छाले - एक बेल का गूदा 100 ग्राम पानी में उबालें ठंडा हो जाने पर उस पानी से कुल्ला करें छाले मिट जाएंगे !
मधुमेह - बेल एवं बबूल की छाल का 2 ग्राम चूर्ण दूध के साथ ले 15 बेलपत्र और 5 काली मिर्च पीसकर चटनी बना ले उसे एक कप पानी में घोलकर पीने से मधुमेह ठीक हो जाता है इसे लंबे समय तक एक 2 साल तक लेने से मधु में स्थाई रूप से ठीक होता है
दिमाग की थकावट - एक पक्के बेल का गूदा रात्रि के समय पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तन में रखें सुबह छानकर इसमें मिश्री मिलाकर ले और प्रतिदिन पिये इससे दिमाग तारो ताजा हो जाता है !
कान का दर्द - बहरापन बेलपत्र को गोमूत्र में पीसकर उसे 100 मिलीलीटर दूध 300 मिलीलीटर पानी तथा 100 मिलीलीटर तिल के तेल में मिलाकर धीमी आंच पर उबाले यह बिल शुद्ध तेल प्रतिदिन चार-चार बूंद कान में डालने से कान के दर्द का बहरेपन में लाभ होता है !
पाचन - पके हुए बेल फल का गूदा निकालकर उसे खूब सुखा लें फिर पीसकर चूर्ण बना लें इसमें पाचक तत्व पूर्ण रूप से समाविष्ट होता है आवश्यकता पड़ने पर 2 से 5 ग्राम चूर्ण पानी में मिलाकर सेवन करने से पाचन ठीक होता है इस चूर्ण को 6 महीने तक ही प्रयोग में लाया जा सकता है